दर्द भी तुम दवा भी तुम
दर्द भी तुम दवा भी तुम
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यादों की लगी झड़ी अब, नयनों के नीर पावन।
पास रहे जब प्रिय तब, हर मौसम मनभावन।
मुस्काते है अधर खुशी से, हृदय ज्यों वृंदावन।
दर्द भी तुम दवा भी तुम, दूर न जाओ साजन।
डाल डाल पर महके फूल, हर्षित मन विभावन।
निखरा निखरा मुख आज, दमक रहा है आँगन।
मधुर मिलन की बेला साथी, भँवरें करते गायन।
लगकर तुमसे गले, ख़िल उठा जीवन कानन।
हुई विदा पीर घनेरी, आया ख़ुशियों का सावन।
सौभाग्य मेरा जागेगा, जब बनूँगी तेरी सुहागन।