STORYMIRROR

Fardeen Ahmad

Others

5.0  

Fardeen Ahmad

Others

दिल, दिमाग़ और मैं !

दिल, दिमाग़ और मैं !

2 mins
1.3K


ऐ दिल तू मोहब्बत करना चाहता है?

क्या तू फिर से मोहब्बत करना चाहता है?


भूल गया वो दिन जब तू पहली बार बेचैन हुआ था

अपने हमसफ़र दिमाग़ से अनजान हुआ था

न तुझे फ़िक्र थी उस दिमाग़ की, न खुद की

और न उसकी जिसके जिस्म से तू जुड़ा हुआ था


आखिर वो प्यार मुझे कैसे हो गया

मैं समझ भी नहीं पाया और वो मुझसे खो गया

न दिमाग ने कोई इशारा दिया और न तूने कभी खबर की

मेरा ज़हन भी थक हार कर कहीं सो गया


मैं मानता हूँ वो दिन तेरे लिए बड़े हसीन हुआ करते थे

कायनात के सारे खूबसूरत नज़ारे तुम पर मरा करते थे

लेकिन ज़िन्दगी की सच्चाई ऐसी नहीं है, ऐ दिल

चुप क्यों हो, पहले तो रोज़ प्यार का इज़हार किया करते थे


चलो जाने देते हैं बीते दिन के अफ़साने

क्यूँ हुआ तेरे साथ ऐसा, अब खुदा ही जाने

जज्बातों में किसी के लिए ऐसे ही न बह जाया करो

ज़िन्दगी छोटी है, क्यूँ आगे बढ़ते हो दिल तुड़वाने


अब तू फिर से चाहता है एक बार मोहब्बत करना

दिमाग से मश्वरा करके क़दम बढाने से डरना

खौफ में तो वो कब से है की कहीं तू उसका साथ न छोड़ दे

खुदा न खस्ता कही फिर से न पड़ जाए तुझसे लड़ना


किसी और की तरफ बढ़ने से पहले मुझसे भी सलाह ले लिया कर

दिमाग तेरा सच्चा दोस्त है, क्या हुआ अगर वो है ज़रा सा खर

आखिर मुश्किल वक़्त में तेरे साथ वो हमेशा खड़ा हो जाता है

जब जब भी तू टूटा है और गया है ग़मों से भर


कुछ हसीन लम्हों को देखना चाहते हो तो आगे बढ़ जाना

दिमाग ने अगर तुम्हे रोकने की कोशिश की तो उससे भी लड़ जाना

मुमकिन तौर पर अगर गुन्जायिश गम की ही है, इन खूबसूरत पलों के बाद

मैं हूँ, तुम हो और वो भी आ जायेगा, मिलकर भर लेंगे इनका हर्जाना|


Rate this content
Log in