दीवारें
दीवारें
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मेरे घर की दीवारें
बोलती सी लगती हैं
मुस्कुराती फोटोज के साथ
मेहमानों का स्वागत करती है
कभी ऊँचे झरोखों से
तो कभी खिड़कियों से
हर सुबह चुपके से वे
धूप को बुलाकर लाती हैं
दरवाजों के पर्दों से वे
सर सर हवा लाती हैं
कभी कुछ बातों को झट से
पर्दों में छिपा लेती हैं
घर की चारों ओर की दीवारें
मेरी हिफ़ाजत में
खामोशी से खड़ी रहकर
मुझे महफ़ूज रखती हैं
हर तरफ खड़ी ये दीवारें
घर के अंदर बाहर में
अनकहे नियमकायदों से
मेरी आजादी को बांध देती है
