STORYMIRROR

Dr. Madhukar Rao Larokar

Others

3  

Dr. Madhukar Rao Larokar

Others

""" दीपावली "" *(40)

""" दीपावली "" *(40)

1 min
152

दिलों को, दिल से जोड़ कर

रौशन किया, सपनों का महल।

अपनों का,साथ भी मिला

सजाया जैसे,अपना हो शीशमहल।


ना जाने क्यों, लोगों की

खुशी के लिए, जलाता नहीं

दिया कोई,दिल का।

घर सामान की सफाई

करते हैं, पर्व में सभी

तन मन की,गंदगी देखता नहीं

कोई, प्यार से दिया ,जले दिल का।


हम उपहार, में दे रहे

आतंक व नफ़रत सभी को।

बांटता नहीं, कोई मिठाई

समझ मोहब्बत, सभी को।


हर सांस, भर रही आह

जुल्म के, साये तले

कुंदन करती,है आत्मा।

विश्वास, भाईचारा

बनी है, एक पहेली

घायल भी तो, है आज आत्मा।


पूर्वजों ने बताया

धर्म ने दिया उपदेश, दिवाली

है असत्य पर, सत्य की जीत।

हमने मनाया इसे नफ़रत

स्वार्थ के, बारूद से जलाकर

इंसानियत की,यह कैसी जीत।


तो दीपावली मनाना तुम

सत्य निष्ठा की, ज्योत जलाकर।

मानवता के दुश्मन, को सबक

सिखाना, सर्वधर्म की रक्षा कर।


हर दिल,सत्य की राह चले

रौशनी बिखेरते, चलें हम।

दानव पर देवत्व की हो विजय

दीपावली में शपथ, लें सभी हम।


Rate this content
Log in