धागा प्रेम का मत तोडिय़े छिटकाईए
धागा प्रेम का मत तोडिय़े छिटकाईए
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धागा प्रेम का मत तोडिय़े छिटकाईए,
प्रेम बांटों जितना, उतना बस पाइये।
हर जीव,प्रकृति सुंदर,दिल में बसइये,
हँसने से जीवन बढ़े, सदा ही हँसाइये।।
धागा प्रेम का मत तोडिय़े छिटकाईए,
गिरते प्राणी को सदा, गले से लगाइये।
मात पिता सबसे बड़े, दिल में बसाइये,
अपने धन का गर्व,कभी न दिखाइये।।
धागा प्रेम का मत तोडिय़े छिटकाईए,
प्रेम बड़ी चीज है, सदा दिल लगाइये।
दूर कभी कोई नहीं, आदर से बुलाइये,
दिल को समुद्र मान, इसमें तो बसाइये।।
धागा प्रेम का मत तोडिय़े छिटकाईए,
दर्द जगत के बहुत, सबको भुलाइये।
जैसा तुम करोगे, वैसा ही फल पाइये,
गैरों को अपना मान, दिल न दुखाइये।।