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Sarita Kumar

Others

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Sarita Kumar

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देश के वीर

देश के वीर

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सुलझा लेती हूं 

अपनी तमाम उलझनें

तुम्हारे हाथों की अंगुलियों में 

अपनी अंगुलियों को उलझा कर 

सुकून पा लेती हूं अक्सर 

तुम्हारे कांधे पर सर टिका कर 

तुम पास नहीं हो तो क्या हुआ 

सीमा पर तुम्हारी तैनाती 

भी जरूरी है ...

तुम्हारा शौर्य

मुझे हमेशा गौरवान्वित करती है 

तुम्हारी वर्दी जब तकिया को पहनाती हूं 

तो तकिया भी वही रौब जताता है 

तुम बर्फ की बिस्तर पर सोते हो और ओढ़ते भी बर्फ हो 

मैं रजाइयों में भी कांप जाती हूं 

तुम्हारे तकिया का सहारा है 

टिका के सर जिस पर थोड़ा सिसक लेती हूं ....

उलझा कर तुम्हारी अंगुलियों में 

अपनी अंगुलियां 

तमाम उलझनें सुलझा लेती हूं ....


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