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डाइनिंग इन से डाइनिंग आउट तक

डाइनिंग इन से डाइनिंग आउट तक

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" आपका स्वागत है इस मेस में ,

आज हम फुले नहीं समाये

एक मित्र का इजाफा हुआ !

हमें उम्मीद है कि आप अपने प्रयासों से

अपने योगदानों से इस मेस को सजायेंगे सबारेंगे

और बढाएंगे इसका नाम ...

अब हम करते हैं आपसे आग्रह.. आप बोलें दो शब्द !!"

".......मैं .....वो ..हूँ !

मेरा सौभाग्य है कि आपने अपना बहुमूल्य समय देकर

हमारा डाइनिंग-इन किया !

मैं भी वादा करता हूँ ह्रदय से

मेस का अनुशासन मानूंगा ,जो काम दिया जायेगा वह करूँगा !

मेस की उन्नति में अपना योगदान दूंगा !

अपने मित्रों से सहयोग और सहकर्मियों से प्रेम पताखा फहराऊंगा !

....और इस पार्टी के लिए आप लोगों को देता हूँ धन्यवाद् !!"

पर देखते -देखते यह क्या हो गया ?

नियम अनुशासन कर दिया उल्टा -पुल्टा !

बातें चलीं तो कहा -"हमने ऐसे कितने ही मेस देखा है "!

रंग बदल गए ,दंग बदल गए

जिम्मेबारिओं से कोसो दूर ....!

अपने मित्रों के लिए समय नहीं मिलता है ,

अभिवादन तो दूर ..नजर नहीं उठता है !

व्यस्तता तो ऐसे कि मानो इनके बिना यूनिट नहीं चलता है !

कहीं से कोई 'रिक्वेस्ट 'आया तो उसे ठुकराते हुए पाया !

खुद दोषी, दोष मंदा दूसरों पर !

सहकर्मियों का वेलफेयर बंद

अड़चन ही अड़चन लगाना उनके कामों में !...

...फिर ..बीत गए तीन बरस

आ गयी 'पोस्टिंग ' पूरा हुआ टेन्योर ..

डाइनिंग आउट पार्टी का फिर हुआ आयोजन ..

और हुआ भाषण कथनी और करनी का

फिर हुआ 'महायुध्य ' !

"....हम ..वो ..हैं

अगर हमने किसीका दिल दुखाया है तो हमें माफ करना

दिल में नहीं रखना !..

आप लोगों ने समय निकल कर मुझे जो सम्मान दिया

उसे याद रखूँगा !

कोई यदि मेरे स्टेशन आये तो मुझसे मिले बिना न जाये ..

हमें ख़ुशी होगी .....!!"

हजूर !..हम क्या आप से मिलेंगे ?

जबतक आप रहे लोगों को दुखाया ,दूषित इतिहास बनाया

लोग आपको युग -युग तक याद रखेंगे ......................!!



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