STORYMIRROR

SURYAKANT MAJALKAR

Others

2  

SURYAKANT MAJALKAR

Others

चव्वनी की मेहरबानी

चव्वनी की मेहरबानी

1 min
182


सवाल तो बहुत किये थे मैंने दुनिया से।

मगर मुनासीब जवाब नहीं मिला।


हर सवाल पर लोगों का रवैया

कुछ बेपरवाह जैसा मिला।


मैं ही खामख्वाह बोझ उठाये चला।

दूसरों का जनाजा अपने कंधे पे उठाके चला।


चव्वनी की मेहरबानी और बंदे रुपये का नखरा।

समझ न पाया दुनिया में कौन झूठा, कौन खरा।


अपने हिसाब से चलने में ही समझदारी है।

बताओ, किसको उलझाने की तैयारी है।


Rate this content
Log in