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Neeraj pal

Others

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चतुर्भुज रूप

चतुर्भुज रूप

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मीठी मिसरी घोलो मुख से, सबका करती है कल्याण।

बोल सको तो सदा सत्य बोलो, जिससे होता है प्रभु का ज्ञान।।


कर सको तो सेवा तुम कर लो, होता सब का इससे उपकार।

पाप,संताप स्वतः मिटेंगे, सेवा ही असली उपचार।।


देने वाला दाता वह सबका, क्यों करता तू निरअभिमान।

तन, मन, धन से कुछ पुण्य कमा ले, अंत समय सब तेरा जान।।


वे तो देते बिन मांगे सब कुछ, क्यों बनता है तू नादान।

तुष्टि, तृप्ति रूप है उनका, फिर क्यों होता है तू परेशान।।


बसन रूप धर द्रोपदी लाज बचाई, साग विदुर घर खाई।

"नीरज" चतुर्भुज रूप को भजले, नाहिं तो पाछे पछताई।।


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