चंदन सा स्वभाव सुरभित
चंदन सा स्वभाव सुरभित
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संतन का स्वभाव चंदन सा,
धर्म, आचरण सब में भरता है !
चाहे जितने भी कष्ट सहे पर,
लोक-धर्म जीवन से झरता है !
चंदन से सुरभित है जो वन,
वहीं सर्प तने से लिपटे रहते है !
सुरभित सुगंध बयार मलय का,
सांसों को भी सुगन्धित करता है !
प्रेम स्नेह का पाठ जिसने पढ़ा,
वह सारे जग में प्रेम बरसाता है !