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manish shukla

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5.0  

manish shukla

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चन्दा रे

चन्दा रे

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चाँद ने कहा जब तारों से

हम बंधे हैं सब एक तारों से

तुममे प्रकाश ही कितना है

फिर भी तुम टिमटिमाते हो

अपना प्रकाश फैलाते हो

जग में दीपक बन जाते हो

मैं करता हूँ रोशन जहां

कहते हैं लोग मैं हूँ महान.....


पर

सुन लो मेरे प्यारों तुम

अफसोस मुझे बस इतना है

मेरा प्रकाश नहीं मेरा है

ये तो आँखों का फेरा है

सूरज का दान मैं पता हूँ

ऐसे ही जिये जाता हूँ.....


तब

तारों ने कहा ओ चंदा रे

नहीं झूठ कोई तू कहता रे

सूरज भी कितना है महान

रोशन करता है वो जहां

अपने लिए कुछ नहीं लेता है

जग में सब बाँट देता है

तू भी प्रकाश को पाता है

इस जहां में सब फैलाता है

करता है तू सूरज का ही काम

इसलिए है चंदा तू भी महान...


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