चलते रहे
चलते रहे
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चलते रहे
और देखते रहे
अपने पसन्द के विचारों
जैसे सामानों का विछड़ना।
कभी दुखी हुये
कभी खूशी से भर उठे
कभी रोये तो
कभी मुस्कराते।
चलते रहे
चलते रहे
और जब तुम मिले
लगा इससे सुंदर
कुछ मुमकिन नहीं है
और खो गये तुम्ही में।
कितना दिलचस्प लग रहा है
लोग भूलकर मुझे
तुम्हें ही देख रहे हैं
उन्हें इस बात का न इल्म है
न भनक
कि तुम मैं हूँ ।