छुप- छुप के रोए हैं
छुप- छुप के रोए हैं
हम आप से जुदा होकर भी आप में ही खोए है।
किसी को नहीं है ख़बर हम छुप- छुप के रोए हैं।।
ऐसा कोई लम्हा न गुज़रा जो आपको न पुकारा।
क्या इस ज़िन्दगी में फिर मिलन ना होगा हमारा।।
यादों की माला में हर मोती है तुम्हारे ही नाम का।
तुम ही आफ़ताब इस जीवन की ढलती शाम का।।
क्या हमारे इस दर्द का है तुम्हें कोई एहसास नहीं।
लौट आओ कि तुम्हारे बिना ज़िन्दगी उजास नहीं।।
याद है वो दिन आज भी हमारी पहली मुलाकात।
न तुमने कुछ कहा न हमने आंँखों में हुई थी बात।।
नज़रों की मुलाकात हमारी कब प्यार में बदल गई।
एहसास ही नहीं हुआ कि कब ज़िन्दगी बदल गई।।
तो आज भी क्यों नहीं पढ़ते इन नज़रों में इंतजार।
क्यों सुनते नही इस दिल की मोहब्बत की पुकार।।