ब्याह न दो बाबा कच्ची उम्र में
ब्याह न दो बाबा कच्ची उम्र में
घर की भेड़ - बकरियों को
बेच कर
टोले-मोहल्ले में ऋण और उधार कर
जंगल-पहाड़ के पार
नदी-नालों के पार
बहुत दूर
मुझे ब्याह न दो बाबा
जहाँ जाने के लिए भी बाबा
बेचने होंगे तुम्हे भेड़-बकरियां
भेड़-बकरियों को चराते हुए
भात की फेना पी कर
भाइयों के कपड़े में ही
मैं जाऊँगी बाबा
पाठशाला
मुझे ब्याह न दो बाबा
कच्ची उम्र में...
मेरे भी तो मन में
सपने है
आसमान में उड़ने की
सर ऊँचा कर जीने की
तुम्हारी इज्जत बढ़ाने की
बाबा, मुझे विदा न करो
कच्ची उम्र में...
कॉपी खरीदने के लिए
पैसा न होने पर भी
मेरे लिए कपड़े
खरीद न पाने पर भी
भाइयों के किताब से ही
पुराने कपड़े पहनकर ही
भात की फेना पीकर बाबा
मैं जाऊँगी पढ़ने
कच्ची उम्र में बाबा
मुझे ब्याह न दो...
विश्वास करो बाबा
पढ़ने में आलस नहीं करुँगी
सबसे श्रेष्ठ बनूँगी
जाति और समाज के लिए
काम करुँगी
नाम तुम्हारा चमकाऊँगी
इज्जत तुम्हारी बढ़ाऊंगी
सर ऊँचा कर रहना
मुझे ब्याह न दो बाबा
कच्ची उम्र में...
