बतला दो ना साहब
बतला दो ना साहब
कुछ लोग बोल रहे है
बाहर जाना मना है
लेकिन मुझे बतला दो ना साहब
कोई क्यु नहीं बोलता की रोना मना है!
और महिना भर घर में पडे रहेंगे
चटनी भाकर रोज हम खायेंगे
कोरोना मे लिया पैसो का
ब्याज हम कैसे भर पायेंगे!
गुदमर जाता है अब श्वास मेरा
बाहर है कुंआ अंदर है फांसी का फंदा
लेकिन अब तो मुझे बतला दो ना साहब
लाकडाउन मे क्या है आपका फंडा!
मुझे लग रहा था साहब गरीबों को
कुछ ना कुछ मदत जरूर मिलेंगी
लेकिन मुझे बतला दो ना साहब
म़ंजूर निधी कब तक मिल जायेंगी!
लाकडाऊन कोरोना को भगाने का यंत्र नहीं है
गरीबोंको मारने का एक षडयंत्र है
लेकिन मुझे बतला दो ना साहब
जिने का क्या आपका मंत्र है!
अब देखो सब कुछ सही हुआ ना साहब
कोरोना के साथ हमने जिना सिखा है
ब्याज के साथ लौटा देंगे पैसे आपके
डुबोना हमारे खुन मे ना लिखा है