बसंत ऋतु
बसंत ऋतु
म्हारे फूटो करम
जो मिले ऐसो अनाड़ी बलम
प्रेम रस में पगा फरवरी माह
छाया बसन्त चहुँ ओर
दुनिया भई प्रेम में मगन
एक सुन्दर से फूल की चाहत में
बन्द आँख किये बैठे थे पर ये क्या
आँख खुली तो हाथों में था
गोभी का सुन्दर सा फूल
पहली ग़लती की माफ़
समझ छोटी सी भूल
साँझ समय सोचा
मधुमेह की वजह से
खाया नहीं बहुत दिनो से मीठा
इसी बहाने कुछ मीठा हो जाये
मँगाया फल मीठा केला
पर थोड़ी देर मे लौट कर बोले
जनाब
ले तो आता पर भूल गया थैला
हमने भी मारा नहले पे दहला
अरे ले आते फिर कोई मिठाई
हँस कर बोले वो
मालूम था करोगी तुम पिटाई
इसी लिये ले आया दोना भर
रसमलाई
आओ मेरी इमरती मिल कर
खाये हम शुगर फ्री मिठाई