बरसता सावन
बरसता सावन
बरसता सावन से हरियान धरा लगे स्वर्ग से सुन्दर,
छाए आसमान में बादल सूरज छिप गए जिसके अंदर,
बिजली कड़के बादल गरजे,
छम छम करके पानी बरसे,
नजर जहाँ जाए वहाँ लागे भरा पानी देख समुंदर,
बरसता सावन से हरियान..........
गिली मिट्टी फिसले पैर,
चलत बने न पतली मेंड,
गड़गड़ करता बादल भड़के सुन के जाता जी है डर,
बरसता सावन से हरियान......
आ गई बाढ़ नदी में देखो,
जड़ गए मोती सदी में देखो,
पानी बरसे मन भी हरसे होवे पिया मिलन का असर,
बरसता सावन से हरियान....
जहाँ देखो तहाँ पानी ही पानी,
चल रही खेत में खूब किसानी,
स्वागत नील करे ये सावन गाए गीत बरस तू मन भर,
बरसता सावन से हरियान....
छाए आसमान में बादल......