बरगद की छांव
बरगद की छांव
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बरगद की छांव
वह प्यारा सा गांव,
बचपन की यादें सब
छूट गयीं आज है।
वो बीते हुए कल
वो मोहब्बत के पल,
वो बचपन के खेल
सब अभी तक याद है।
वो मां की मीठी लोरी
वो दादी की कहानी,
वो दोस्तों की मस्ती की
दिल में सजी साज हैं।
वो रूठना मनाना
वो खुशियों का खजाना,
खो सी गई कहीं सब
प्रेम की अब न बात है।।।
