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Anuradha Keshavamurthy

Abstract

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Anuradha Keshavamurthy

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बोल रे समय के पंछी

बोल रे समय के पंछी

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बोल रे समय के पंछी 

बोल रे समय के पंछी,

नित बोल रे शुभ-शुभ बोल।


दिन - रात तुम पंख पसारे,

बीते दिनों के लेखा लिए सारे।

जन-जन के मंगल प्रहर लिए चल,

फिर बोल रे समय के पंछी,

नित बोल रे मंगल बोल।


आज यहां तो कल वहां,

बीत गए दिन गए कहाँ?

आशा की नए दिशा लिए आगे चल।

बोल रे समय के पंछी,

नित बोल रे आशा की बोल।


कल की कड़वी बातें भुलाए,

मीठी यादों की मिठास मिलाए,

लिए कल की खुशहाली की हलचल।

बोल रे समय के पंछी,

नित बोल रे खुशहाली के बोल


नए साल के दहलीज पे रुककर,

बीते दिनों के दुःख-दर्द हरकर,

सपने लिए सुख-शांति के हर पल।

बोल रे समय के पंछी,

नित बोल रे सुख-शांति के बोल।


गए साल को विदा कियाकर,

भरोसे की नई किरण लिए फिर,

भवितव्य की आभा लिए तू चल।

बोल रे समय के पंछी,

हर पल शुभ - शुभ बोल।


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