बंदिश
बंदिश
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तुमने कहा था
चलेंगे साथ-साथ
तोड़ देंगे बंदिशों को
चले साथ न टूटी बेड़ियाँ
क्योंकि
जानते समझते थे हम
हर बात नहीं वश में हमारे
प्यार बोया ही, सींचा नहीं
उम्मीदों को नहीं दिए पंख
उलझने से पहले ही
सुलझा ली जिन्दगी
और अब
तुम भी खुश और मैं भी मस्त
