बिखरते फिसलते
बिखरते फिसलते
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बिखरते
फिसलते
अक्षरों को मैंने बांधा
मुठ्ठी को बंद किया
शब्दों को
पकड़ा
अर्थवत्ता दी
मायने दिए
आग सा अहसास दिया
अस्मिता पाते ही
शब्द
बिगड़ने लगे
बंधी राह से हटने लगे
वे नए अर्थ से
अपने को जानने लगे।
