बिछड़ना
बिछड़ना
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यूं ऐसे बिछड़ कर मत जा
ऐ जिंदगी…
है बहुत से काम बाकी अभी
ये कैसा है मोड़ जिंदगी में आया
हर पल उदासियां सी यूं छाने लगी
मुस्कुराते तो हम भी बहुत थे
पर वे भी अब जी सा चुराने लगी
लाचार सी हो चली यह जिंदगी
सभी की।
शब्दों को भी अब यूं मैं लिख पाऊं
काश! वे पल फिर से आए।
खुशियों के गाने हम फिर
गुनगुनाए।