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Pooja Agrawal

Others

4.0  

Pooja Agrawal

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भूली बिसरी कैसेट

भूली बिसरी कैसेट

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सभी सहेज कर रखी जाती थी

करीने से शेल्फ में

उलझ भी जाती थी कभी तो

प्यार से सुलझाते थे उसको

बड़ी शान से चलती थी वह प्लेयर पर

उसकी धुन पर थिरकते थे कदम

मधुर संगीत में खोए रहते थे हरदम

इतराते थे‌ बहुत उसके संकलन पर हम

मुस्कुराहट आती थी जब तोहफे में मिलती थी

पर अब धूल में लिपटी हुई पुरानी बक्से में

अपने भाग्य को कोसती है वो कैसेट.

कितनी नायाब थी किसी ज़माने में

हम भी अजीबोगरीब शख्सियत के हैं

उन पुराने दिनों की याद करने

कदम ले ही जाते हैैं तहखाने में,

देख कर उसकी दशा बड़ा मन कचोटता है

और सोचने पर हो जाता है मजबूर

हर चीज वक्त के साथ पुरानी हो जाती है,

नवीन वस्तुएं है उसका स्थान ले लेती है

वक्त हालात और जरूरतें सब बदलती हैं

बदला‌व ही जीवन है,

आहं भरते हुए विचार करते हैं

इस तथ्य को स्वीकारते हैं

अब हर परिस्थिति में खुद ही को ढालते हैं।



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