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Sunita Shukla

Others

4.5  

Sunita Shukla

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भावनाओं के सुमन

भावनाओं के सुमन

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माता-पिता का अपनी संतान से नाता, 

जैसे उँगली थामे भाग्य विधाता ।

जिसमें स्नेह है अपार और प्यार भरा दुलार 

जहाँ जुड़ें हृदय से भावनाओं के तार 

उसी सिंचित मृदुल स्नेह भाव को

शब्दों में समेेटा है, भावनाओं के सुमन सँँजोए हैं ।


क्या कहूँ मैं आपको, शब्दों से मन ये रिक्त है,

 वात्सल्य और स्नेहिल भावनाओं से सिक्त है।

यूँ तो दुनिया में जाने कितने रिश्ते हम बनाते हैं, 

पर जीवन का सार हमें माँ बाप ही सिखाते हैं ।


श्रृंखला शब्दों की ये आस्था का उपहार है, 

आपको बाँधू हृदय से ये मेरा अधिकार है ।

आपसे सीखी है मैंने होती क्या है साधना, 

कैसे चाहिए अपने प्यारे बच्चों को पालना।


पिता की अनुभवी बातें और माँ की प्यारी हर सीख, 

जिन्दगी कैसे जीना है हर पल सिखाती हैं ।

आने वाले हर सुख-दुःख का आभास कराती है और, 

जिन्दगी

ज़िन्दादिली से जीने की मिसाल दे जाती हैं।


भी आनंदित कभी अचंभित जीवन पथ की राहें हैं,

कितनी भी उलझन हो पर आप नहीं घबराये हैं ।

सप्त पदी के वचनों को हृदय से अपनाया है,  

जीवन पथ से जुड़े हर रिश्ते को बखूबी निभाया है।


चेहरे से झलकती है सरल सौम्य सादगी,

फूल बनकर मुस्कुराए आप दोनों की जिन्दगी।

ईश्वर करें आप एक दूसरे से कभी न रूठें, 

आप दोनों से खुशियों का एक पल भी न छूटे ।


सदियों तक बनी रहे आपकी प्यारी जोड़ी,

जीवन में खुशियाँ ना हो कभी भी थोड़ी ।

जमाने भर की खुशियाँ आपके दामन में सिमट आएँ,

आप यूँ ही खिलखिलाएँ, घर आँगन को महकाएँ।

बहती रहे आशीषों की धारा, करें स्वीकार अभिवादन हमारा।

                                           


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