भारत के राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि
भारत के राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि
क्या श्रद्धांजलि दूं उनको क्या मैं लिखूं उनके बारे में
ख़ुद दो हाथ से लिखते थे क्या मैं लिखूं उनके बारे में
सत्य, अहिंसा, प्रेम, धर्म, जैसे लगते थे नारे
जिसके आगे तोपों, बारूदों और गोरे भी हारे
बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो
सिख सिखाते बापू के तीन बंदर
आज अन्याय देखकर अंधे बन बैठे है लोग
मदद के लिए पुकारती आवाज़ को अनसुना करते लोग
बात बात पर अशिष्ट भाषा का प्रयोग करते लोग
क्या यही सिख ली इन बंदर से?
पूरा जीवन बिता दिया हमें आज़ाद करने में
आज वही आज़ादी का फ़ायदा उठा रहे लोग
मिटाया ऊँच नीच के भेदभाव को
बढ़ाया हमने ग़रीब-तवंगर के भेदभाव को
स्वदेशी उत्पादन को अपनाया ख़ुद चरखा चलाकर
भारत देश के उद्योग को क्या उपहार देंगे हम विदेशी अपनाकर
रखें घर, गली, आँगन, पार्क साफ़
सच में यही है स्वच्छ भारत अभियान
नहीं हराया जाता किसी को हिंसा से
जीता जा सकता है किसी को अहिंसा से
आज़ादी के लिए कई बार गए है जेल किया है आमरण अनशन
आज एक दिन के व्रत पे भी नहीं कर पा रहे अनशन
तो आओ अपनाएं गांधी के विचार को आज
शायद यही दी जाए उनको श्रद्धांजलि आज।।
