भाई परछाई सा खड़ा है
भाई परछाई सा खड़ा है
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भाई मेरे साथ खड़ा रहता है परछाई सा
जीवन के रात में दिन के उजाले सा
समय के थपेड़ों ने मुझको जब भी पटका है
भाई ने मुझको हर पल संभाला है
कभी विचार बनकर, कभी साहस बनकर,
कभी आवाज़ बनकर, कभी प्रेरणा बनकर,
हर बार वह किसी ना किसी रूप में रहा है
सच बोलूं तो उसने बचपन से जो भी दिया
नैतिक, सामाजिक, इत्यादि शिक्षा-दीक्षा
शायद यह सब ही मुझे मुश्किलों से निकालते रहे हैं!