बेटियां
बेटियां
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बेटियां तो घर की रौनक होती हैं परिवार की पहली मोहब्बत होती हैं।
बेटियां तो मां की आंखों का तारा होतीहैं बहन के दिल का सहारा होती हैं।
बेटियां तो पापा की शहज़ादी होती हैं वो तो बस ईश्को मोहब्बत की आदी होती हैं।
बेटियां तो एक माला में मोती और फूल को जोड़तीहैं नफरत की दीवारों को तोड़कर मोहब्बत की दीवारों को जोड़ती हैं।
बेटियां तो चिराग होती हैं जो अंधेरे में घर को रोशन कर देती हैं
बेटियां तो खिलते हुए फूल की तरह मुस्कुरा देती हैं
बेटीयां तो बारिश की तरह आतीहैं और आंधी की तरह चली जाती हैं।