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अंजना बख्शी

Others

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अंजना बख्शी

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बेटियाँ

बेटियाँ

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बेटियाँ रिश्तों-सी पाक होती हैं

जो बुनती हैं एक शाल

अपने संबंधों के धागे से।


बेटियाँ धान-सी होती हैं

पक जाने पर जिन्हें

कट जाना होता है जड़ से अपनी

फिर रोप दिया जाता है जिन्हें

नई ज़मीन में।


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