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Rajiv Jiya Kumar

Others

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Rajiv Jiya Kumar

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बेरोजगार

बेरोजगार

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मन उदास 

थका तन

आस उस मुकाम की

हो जो सूकून बख्श, 

नही चाहता

वह तख्त कोई

उसे तलाश बस

ईक दरख्त की

जो शीतलता से अपने

करे उसे

संगियों संग शीतल, 

हो वह कोई 

बङा पीपल 

या ताङ की ईक 

लंबी छाया

जो दूूर बहुुत दूर

जङ से अपने

ढकती है थके तन की

ईक चौथाई काया,

और नही कुछ

जीवन के तप्त 

कठिन धूप मेें

वक्त कुछ नम हो

उसे चाह।।

   


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