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Bhawna Shastri

Others

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Bhawna Shastri

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बचपन

बचपन

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बचपन एक मीठी याद है

ये ऐसी एक फरियाद है 

जो मन में सबके होती है 

एकांत में अक्सर रोती है

वो माँ बाबा वो भाई बहन

वो खेल खिलौने घर आँगन 

वो उछल कूद वो लड़ जाना

वो अपनी ज़िद पर अड़ जाना

कभी पढ़ते- पढ़ते सो जाना

कभी किसी खेल में खो जाना

ये याद हमेशा आता है 

मुस्कान अधरों पर लाता है

हम बड़े हो गए आज मगर

दिल में कुछ बचपन बाकी है

ज़िम्मेदारी बढ़ी मगर

कुछ लापरवाही बाकी है

अब काम बहुत करते हैं 

पर कुछ खाली पन सा बाकी है

मोबाइल इंटरनेट है पर

हर चेहरे पर उदासी है

मन में फिर भी एक आस है 

अपने बच्चों के पास हैं

वो हर अभिभावक खास है

अपने बच्चों के बचपन में

जो अपना बचपन जीते हैं

वो सदा उम्र से जीते हैं।



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