बचपन
बचपन
1 min
362
बचपन एक मीठी याद है
ये ऐसी एक फरियाद है
जो मन में सबके होती है
एकांत में अक्सर रोती है
वो माँ बाबा वो भाई बहन
वो खेल खिलौने घर आँगन
वो उछल कूद वो लड़ जाना
वो अपनी ज़िद पर अड़ जाना
कभी पढ़ते- पढ़ते सो जाना
कभी किसी खेल में खो जाना
ये याद हमेशा आता है
मुस्कान अधरों पर लाता है
हम बड़े हो गए आज मगर
दिल में कुछ बचपन बाकी है
ज़िम्मेदारी बढ़ी मगर
कुछ लापरवाही बाकी है
अब काम बहुत करते हैं
पर कुछ खाली पन सा बाकी है
मोबाइल इंटरनेट है पर
हर चेहरे पर उदासी है
मन में फिर भी एक आस है
अपने बच्चों के पास हैं
वो हर अभिभावक खास है
अपने बच्चों के बचपन में
जो अपना बचपन जीते हैं
वो सदा उम्र से जीते हैं।
