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Ruchika Rai

Others

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Ruchika Rai

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बचपन

बचपन

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बचपन कुछ खट्टी कुछ मीठी बातें,

प्यारी प्यारी थी खुशियों के सौगातें,

नहीं कोई फिक्र नहीं कोई गम था,

अपनी धुन में कटती दिन और रातें।


धमाचौकड़ी मिलजुलकर खूब मचाते,

छोटे छोटे पलों में खुशियाँ मनाते,

कल के लिए नही सोचते थे कभी,

पल में रूठते और पल में मान जाते।


खो खो कबड्डी और छुप्पन छुपाई,

खेल खेल में जमकर हो जाती लड़ाई,

पल में कट्टी पल में दोस्ती हो जाती,

खुश हो जाते थे जब मिल जाता मिठाई।


हम बच्चों की थी एक जबरदस्त टोली,

मिलजुलकर मनाते दीवाली और होली,

हमारे बिन सब सूना सूना सा लगता था,

झट हाजिर हो जाते बस एक ही बोली।


भरी दुपहरी बागों में थे हम घूमते,

तितली पकड़ते और केरी चुनते,

गलियों में थे खूब शोर हम मचाते,

नये नये सपने हम थे खूब बुनते।


दादी नानी की थी प्यारी लगती कहानी,

गाते कविता अपनी खुद की जुबानी,

शिक्षक का कहना भी थे हम मानते,

बड़ों की बातें खुश होकर हमने मानी।


मुझे याद आता है वो मेरा प्यारा बचपन,

मम्मी की लाड और पापा का अनुशासन,

भाई बहन संग नोंक झोंक भी चलती,

फिर भी बड़ा खूबसूरत था वो जीवन।


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