बचपन की यारियाँ
बचपन की यारियाँ
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कैसे थे दिन कैसी थी यारियाँ,
याद आती है स्कूल की वो मस्तियाँ
रहती थी साथ दोस्तों की टोली,
करते थे हम दिन भर अठखेलियाँ
बेंच बन जाती थी तबला हमारा,
निकालते रहते थे हम सुर अनेक
जब भी खुलता था खाने का डब्बा,
दुश्मन भी हो जाते थे एक
जब होती थी बारिश घनघोर,
मिलकर सारे दोस्त बन जाते थे मोर
कश्ती चलती थी कागज की अपनी,
खूब झूमते हम मस्ती में चूर