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Kusum Lakhera

Children Stories Others

4  

Kusum Lakhera

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बचपन की यादें

बचपन की यादें

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याद आती हैं वह बचपन की बातें ..

वह शरारत भरे आलस के दिन !

वह मीठे सपनों की प्यारी सी नींद ,

वह प्यारी स्वप्निल सम रातें..….

वह नानी की कहानी वह हमारी नादानी,

वह बरसता सावन वह भर भर पानी !

वह कागज़ की नाव, वह बारिश सुहानी !

वह रूठ जाना, वह कट्टी करके रोना,

वह आँसुओं के नग्में वह शाम मस्तानी !

वह खेलना कूदना, वह छुप्पन छुपाई ..

वह टायर को चलाना वह हंसना मुस्कुराना !

वह नन्ही नन्ही मुट्ठी में मिट्टी को लेना...

वह तुतलाती बोली में माँ से कुछ कहना !

वह घण्टों किसी जिद को पकड़कर उदास रहना ।

वह दोस्तों से फिर खेलने दौड़ जाना ....

वह जीवन के किस्से , कितने खट्टे कितने मीठे,

कहाँ भूल पाते, अब भी याद आते हैं ...

अवचेतन मन की तहों में मानो अब भी बचपन..

बुलाता है ...

कि लौट आओ फ़िर बचपन में...ये बड़े होकर जिम्मेदारी...

का बोझ बहुत सताता है ..

सच ये बचपन ही है जो उदास दिन को ..ग़म से बोझिल,

रात में भी ...हँसता है खेलता है कहकहे लगाता है !

काश कि बचपन से ...न टूटे कभी नाता .....

जीवन की इस अवस्था में सबको आनंद आता !



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