बचेगा क्या...!!
बचेगा क्या...!!
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शान्ति के नाम पर /
परम्पराओं के नाम पर
तो फिर बचेगा क्या स्मृतियों में..!
हमारे कुछ छत्त विछत्त अस्थि अवशेष
हवाओं में तैरते हमारे ख़ाक
और गुंजायमान होते हमारे मध्य के संवाद
और इन सबको स्वयं में समेट
ये पृथा/ व्योम/
और इतिहास को बाचता
ये सकल ब्रह्माण्ड
और क्या...??
