बच्चे मन के सच्चे
बच्चे मन के सच्चे
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शान्त सुरम्य मनोहर होता
है बच्चों का मन।
कान तृप्त सुनकर होते है
उनके मधुर बचन।।
नही कोई भी चिन्ता होती
खाना और खेलना।
अपनापन अपनों से बहुत,
पर होता गैर कोई ना।।
छल फरेब से दूर सत्य ही,
कहें प्रेम को ही जाने।
सब अपने से लगे सभी को
लगते मन की बताने।।
शुद्ध ह्रदय बच्चों का उसमे,
होता है ईश्वर का वास।
जो लखता मुस्कान भूल वो
जाता सारे दुख अरु त्रास।।