बैरी चाँद
बैरी चाँद
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आधी रात को
चाँँद बहुत खूबसूरत दिखाई देता,
ख्वाबों को
अपनी रोशनी मेंं
भिगोने को बेचैन भी,
चाँँद के चाहनेे वालोंं से गुुजारिश
कि कैैद करें
चाँँद की शीतलता
उसकी खूबसूरती
आखिरकार
किसने हक़ दिया चाँद को
यूूँ बेबाक
सितारों की महफिल सजाकर
चमकने के लिए आसमान में
वो भी उधार लेकर रोशनी
अपने सूरज से,
कैैसे रोशन कर सकता है चाँद
किसी के ख्वाबों का अंधेरा
कैैैद हो जानी चाहिए अब
चाँँद की बेबाक गुस्ताखियाँ
क्यों गुनाह किया उसने
प्यार जगाने का
सोये हुए ख्वाबों को सहलाने का!