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Devesh Dixit

Others

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Devesh Dixit

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बावरा मन

बावरा मन

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बावरा मन जो मेरा भटका

क्या बताऊं कहां ये अटका

ढूंढता हूं उसे मैं जहां पर

वहीं पर वो दे देता झटका


बावरा मन है कहीं भी भागे

निकले न कोई इससे आगे

पहुंचता है ये तो वहां पर

जहां कल्पना शक्ति न जागे


बावरे मन की न कोई सीमा

चलता नहीं कभी भी धीमा

दुविधा तो तब हो जाती

जब बनता ख्यालों का कीमा


बावरा मन ये बालक के जैसा

न जाने अब विचार करे कैसा

जानूँ कैसे अब मन का भेद

ये तो हमेशा से ही रहा है ऐसा


बावरा मन जो मेरा भटका

क्या बताऊं कहां ये अटका

ढूंढता हूं उसे मैं जहां पर

वहीं पर वो दे देता झटका



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