बारिशें और तेरी यादे
बारिशें और तेरी यादे
बारिशों के छांटे छुकर बदन को मेरे
तेरा खयाल दिलाते है
छाता लेकर बैठता ही नहीं मैं तभी तो यह
छांटा मुझे भीगाते है
झूमकर नाचता हूं तेरे जैसे याद तुझे कर
वो मोर मुझे नचाते है
बचपन भरकर बारिशों में आँखो पर छांटे
फिर पलके गिराते है
हर याद भर के उस हवाओं में तब वो
मुझे तेरा खयाल दिलाते है
हर छांटा मुझे अपना बचपन और तेरा
मुझे शबीह दिखाते है
बच्चे भी भीगी-भीगी बारिशों में नाच कर
शोर मचाते है
यह बारिशें मुझे,खेत की फसल को, मोर को
सभी को जगाते है
घास की चादर , धरती पर धरती मां को
सजाते है
इसीलिए कहता हूं
बारिशों के छांटे छुकर बदन को मेरे
तेरा खयाल दिलाते है।