बाल रूप श्री राम
बाल रूप श्री राम
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दशरथ के अंगना खेलै सुत,
चारिउ देखि मुदित महतारी ।
राम लखन अरु भरत शत्रुघन,
परम मनोहर छवि अति न्यारी ।
श्याम सरोरूह गौर चन्द्र इव,
भाजै गिरै करे किलकारी ।
निज प्रतिबिम्ब देखि कर पकरै,
निरखि लहै दशरथ सुख भारी ।
डगमग चलै कहै कछु अटपट,
मुदित करै सुर पुष्प बौछारी ।
बाल रूप प्रभु बसौ ह्रदय मम,
नन्द कुमार जाइ बलिहारी ।।
