बाकी
बाकी
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बीती रात की याद में,
सूरज की किरनों से भस्म होती,
ओस की सुन्दर बूंदें !
विरह में रात की , खत्म होती बूंदें !
कुछ निशान पत्तों पर अब भी है,
मानो मुमताज का ताज, बन जाती बूंदें !
लौट आए तुम, देर से ही सही !
नंगे पैरों को प्यार से सहलाती बूंदें !
खुशी के लिए दूसरों की बलिदान देती,
याद में अपनों की, खुद को मिटाती बूंदें !
छोटी सी, चमकीली बूंदें !
क्या/क्या सिखलाती बूँदें !!
