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Dr Jogender Singh(jogi)

Others

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Dr Jogender Singh(jogi)

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बाकी

बाकी

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बीती रात की याद में,

सूरज की किरनों से भस्म होती,

ओस की सुन्दर बूंदें !

विरह में रात की , खत्म होती बूंदें !

कुछ निशान पत्तों पर अब भी है,

मानो मुमताज का ताज, बन जाती बूंदें !

लौट आए तुम, देर से ही सही !

नंगे पैरों को प्यार से सहलाती बूंदें !

खुशी के लिए दूसरों की बलिदान देती,

याद में अपनों की, खुद को मिटाती बूंदें !

छोटी सी, चमकीली बूंदें ! 

क्या/क्या सिखलाती बूँदें !!



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