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अतित

अतित

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वर्तमान की

हर एक

आरज़ू पर

पड़ जाती है

नज़र

अतित की

कालिमा बनकर

छा जाती है

हर ओर

निगल जाती है

सुरसा बनकर

मेरे जीवन की

हर भोर।


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