अश्क़ ए हालात
अश्क़ ए हालात
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ज़िन्दगी का ऐसा भी फ़लसफ़ा होगा
कभी ना सोचा था ये सिलसिला होगा
जिसके खून से सींचे थे नन्हे नन्हे पौधे
कभी उनको भी बागबां से गिला होगा
रेशम के धागों ने जब लूटी होगी अस्मत
आसमा भी कांप कर कुछ तो हिला होगा
झोली में एक फरिश्ते ने बांधी थी दुआएँ
अहज़ान फिर उसे भी क्यों मिला होगा
आब-ए-चश्म से जब नहाई हो धरती
जर्रे जर्रे का ये एक इब्तिला होगा
ज़िन्दगी का ऐसा भी फ़लसफ़ा होगा
कभी ना सोचा था ये सिलसिला होगा
अहज़ान=दुःख(बहुवचन)
आब-ए-चश्म(आंसू)
इब्तिला(दुर्भाग्य)