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Bhisham Kumar

Others

2.3  

Bhisham Kumar

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अरमान

अरमान

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जब से देखा तुझको ए प्रिय
दिल में अरमानों की बरसात हुई
हर अरमान अब तुझ से शुरू  
तुझ पर खत्म होती है

जब से देखा तुझ को ए प्रिय 

दिल में अरमानों की बरसात हुई
दिल ये अरमान लिए बैठा 
कब वो शाम आएगी 
जब तुम मेरे साथ होगी
शायद कायनात की वो शाम होगी
जब तुम मेरे साथ होगी 


बहारे फूल बरसाएगी
फ़िज़ाये लहराएगी
सच कहूं ए प्रिय 
दुनिया की सबसे रंगीन वो शाम होगी
अरमान तो ये भी दिल में
काश पूर्णिमा की वो रात हो 
जब मेरे हाथों में उसका  हाथ हो
खूब करेंगे उससे दिल की बातें 
एक अलग सपनो की दुनिया बसायेंगे 
इस जनम में न सही अगले सात जन्मों तक उससे मिलने की दुआ करेगे

जब से देखा तुझको ए प्रिय 

दिल में अरमानों की बरसात हुई
अरमान तो बड़े है पर ज़िन्दगी छोटी लगती 
तुम से ये गुज़ारिश हैं प्रिय
इन अरमानोंं को ज़िन्दगी दे दे
क्या पता कल हम न रहे
पर ये गुजारें हसींन लम्हें
तुझे ख़ुशी दे दे
हम तो बस तेरे यादों से खुश रह लेंगे
जब से देखा तुझ को ए प्रिय 
दिल में अरमानों की बरसात हुई।।


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