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Lakshman Jha

Others

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Lakshman Jha

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अपरिपक्व मानसिकता

अपरिपक्व मानसिकता

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तर्क जब हम

दे नहीं सकते,

अपने विचारों को

मृदुलता पूर्वक

रख नहीं सकते !

तो हम व्यक्तिगत

प्रहारों को अपना

अस्त्र बना लेते हैं !

घात प्रतिघातों से

लोगों की बख़िया

उधेड़ने लगते हैं !!


कहने को तो हमने

शीर्ष पर पहुँचकर

झंडा फहरा दिया !

शालीनता ,धैर्य ,प्यार

सबको भूलकर

ज़माने को असली

चेहरा दिखा दिया !!

कौन समझेगा

कि हम इस युग के नायक हैं !

प्यार और सम्मान की बातें दूर रही

लोग निर्णय कर ही लेंगे

हम किस लायक हैं !!



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