अपरिपक्व मानसिकता
अपरिपक्व मानसिकता
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तर्क जब हम
दे नहीं सकते,
अपने विचारों को
मृदुलता पूर्वक
रख नहीं सकते !
तो हम व्यक्तिगत
प्रहारों को अपना
अस्त्र बना लेते हैं !
घात प्रतिघातों से
लोगों की बख़िया
उधेड़ने लगते हैं !!
कहने को तो हमने
शीर्ष पर पहुँचकर
झंडा फहरा दिया !
शालीनता ,धैर्य ,प्यार
सबको भूलकर
ज़माने को असली
चेहरा दिखा दिया !!
कौन समझेगा
कि हम इस युग के नायक हैं !
प्यार और सम्मान की बातें दूर रही
लोग निर्णय कर ही लेंगे
हम किस लायक हैं !!
