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Rishabh Jaiswal

Inspirational

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Rishabh Jaiswal

Inspirational

अपनी कलम से।

अपनी कलम से।

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भविष्य मेरा साफ है..

नहीं किया कोई पाप है।

दिल में उतर के देख लो..

भड़क रही एक आग है।

उसूलों के खिलाफ जाना

जैसे श्राप है..

बंद करूँ आँखें तो दिखता

एक ख़्वाब है।

पूरे होंगे हर सपने..

क्योंकि मेरे साथ शंभूनाथ है।


आंधी हो या तूफान..

जज़्बा टीका मेरा विराट है।

ना लड़खड़ाया मैं कभी..

ना रुकने कि कोई बात है।

जिग्रा मेरा देख कर..

ये बोली कायनात है।

ना देखा तेरे जैसा..

एक तू ही विश्वनाथ है।


चढ़ रहा हिमालय पे..

गिरा हज़ार बार है।

हँस रहा था देख कर..

पर्वत का अहंकार है।

मजाल उसकी ऐसी..

मुस्कुराए बार बार है।

जवाब मिल गया था जब..

शिखर मिली कमाल है।

कह गया अदब से वो..

आप जैसा ना कोई शानदार है।


वक़्त पे बनूंगा मैं..

उस वक़्त का इंतज़ार है।

अपना टाइम आयेगा..

चला बहुत ये राग है।

समझ आती है मुझे..

हर बार एक ही बात है।

कर मेहनत दस्तूर कि..

क्योंकि तेरे साथ, तेरे माँ, बाप है।



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