अनकहा रिश्ता
अनकहा रिश्ता
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नज़रों से नज़रें हमारी मिलाया न करो तुम,
गर मिलाओ तो हजूर शर्माया न करो तुम,
पास बुलाने पर यूँ करीब आया न करो तुम,
रिश्ता अनकहा कह के सताया न करो तुम,
दिल दिमाग ख्वाब ए ख्याल हवाले तुम्हारे,
रखो अपनी गिरफ्त में बताया न करो तुम,
रिश्तेदार हैं जो आते जाते हैं इस घर में मेरे,
तुम्हारा घर है इसे छोड़के जाया न करो तुम।।