STORYMIRROR

निखिल कुमार अंजान

Others

3  

निखिल कुमार अंजान

Others

अनकहा किस्सा

अनकहा किस्सा

1 min
215

मुस्कुराहट पे तेरी 

मैं भी मुस्कुराता हूँ

मैने कब ख़्वाहिश पाली

कि मैं तुझको पाना चाहता हूँ

न मैं तेरा प्रेमी हूँ

न तू मेरी प्रेयसी है

अंजान डोर में बंधे हैं दोनो

लगती तू मुझ को मेरे जैसी है


तेरी बातों में खो जाता हूँ

तेरी खुशी तेरे ग़म में शामिल हो

जाने क्यों अपने अंदर मैं

अक्सर तुझ को पाता हूँ

तेरा मेरा क्या नाता है

न मैं समझा हूँ न किसी को

ये समझा पाता हूँ

तू अक्सर कहती है


ये एहसास का रिश्ता है

चाहत से ज्यादा तेरा मेरा

ये विश्वास का रिश्ता है

नाम क्या दूँ भला इसको

ये अनकहा रिश्ता है

तेरा मेरा ये अटूट रिश्ता 

अंजान लोगों का

अनकहा किस्सा है....


 





Rate this content
Log in