STORYMIRROR

Vikas Sharma

Others

3  

Vikas Sharma

Others

अमावस का चाँद

अमावस का चाँद

1 min
375

जब से उसने होश संभाला

उसने उस चाँद को देखा

चाँद का जादू उस पर छाया ऐसे

उसी का चिंतन उसी का स्वपन

उसी के जीवन की अब यही कहानी

देखना चाँद और निहारना चांदनी,


पिता को भी इच्छा अपनी बतलाई

हँसकर समझाया उन्होंने भी

अब समझ आ गया सपनों से निकलकर

वास्तविकता में जीने का

परिचितों ने भी बहुत समझाया

छोड़ दे तू उस चाँद की हठ

वो दूर है तो सबका है

अभी उपमेय है देख पड़ा तेरा सारा जीवन

जिसमे होना तुझे तन्मय है


इच्छा प्रबल थी राह कठिन थी

पर अन्नंत: वह भी तो एक मानव था

सब कुछ खोकर पाया चाँद


पर कहाँ थी उसकी वो शीतलता

कहाँ थी उसकी वो चांदनी

कहाँ थी उसकी वो सुन्दरता

ह्रदय थोड़ा सा खिन्न हुआ


सबने पूछा – तूने पाया

हमको भी तो बतलाओ

हो सके तो हमको भी जरा पास से

चाँद से मिलवाओ


उसने भी बस यही कहा

दूर है तो वो सबका है

मुझे मिला वो चाँद अमावस का है


Rate this content
Log in