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Rashmi Sinha

Others

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Rashmi Sinha

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अखबार की सुर्खियां

अखबार की सुर्खियां

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अखबार की सुर्खियां,

बदल चुकी हैं,

जमाने की चाल में ढल चुकी हैं,

धन सर्वोपरि हो चुका है,

खबरों का महत्व खो चुका है,


अखबारों की सुर्खियां हैं,

ढोल-नगाड़ा,

पीट दिया उसकी ही खातिर,

जिसने हरे हरे नोट ले,

उनको पुकारा,


अखबारों की सुर्खियां हैं,

विज्ञापन हार,

ध्यान मुद्दों से भटकाने को,

सत्ता पक्ष को मनमानी करने को

ये लाती हैं खबरें विशेष,


प्रेमी संग, चार बच्चों की मां भागी,

विपक्ष की काली नियत----

सुर्खियों में झांकी,

"रामलला" महत्वपूर्ण हैं,

"स्टेशन पर चादर बिछा पढ़ी नमाज"

जैसी खबरें छपती जरूर हैं,


मदरसों का भयावह सच,

है आज की सुर्खियां,

जो खबरें रहती थीं,

अखबार के,

किसी छोटे से कोने में,

आज प्रथम पृष्ठ पर छाई हैं,

असली सुर्खियां तो,

किसी कोने में समाई हैं।



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