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Naveen kumar Bhatt

Action

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Naveen kumar Bhatt

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अजनबी

अजनबी

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एक अजनबी

जानें कैसे होंगे वे

जो हमसे दूर रहकर

सात समंदर पार।

लाखों में हार से लगें।

न हुई मुलाकात कभी

ऐसी कोई बात कभी।

वे अजनबी हम अजनबी

न देखे कभी उन्हें हम

रास्ते में टहलते हुये फिर

न जानें क्यों ऐसा लगे,

हमसे दूर रहकर आते

याद करते है फरियाद।

न तस्वीर देखी हमने कभी।

वे अजनबी छुपे रुस्तम।

जहाँ भी हो न दिखते भले

फिर भी आते हो याद नित

हो अजनबी दूर हमसे पर

हर सुबह शाम आ ही जाता

नाम तुम्हारा वो अजनबी।

शब्दों के बोल चाल मीठे

हो अनजान पर हमारे लिये

अजनबी होकर भी लगते

जैसे मीत हो मेरे मन के।



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